आज के समय में मुँह का कैंसर (Oral Cancer) तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। जो ज़्यादातर मध्यम आयु और बुज़ुर्गों में देखा जाता है। मुँह का कैंसर कई मामलों में हमारी रोज़मर्रा की आदतों से जुड़ा होता है। तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन, धूम्रपान, नियमित रूप से शराब पीना या बिना सुरक्षा धूप में अधिक समय बिताना—ये सभी ऐसे व्यवहार हैं जो इस बीमारी का जोखिम बढ़ाते हैं। भारत में तो स्थिति और भी गंभीर है—कैंसर के कुल मामलों में लगभग 30% सिर्फ मुँह के कैंसर से जुड़े होते हैं। तंबाकू सेवन, गुटखा-पान मसाला, बीड़ी-सिगरेट, शराब, खराब मौखिक स्वच्छता और HPV संक्रमण इसके प्रमुख कारण हैं।
लेकिन अच्छी बात यह है कि मुँह का कैंसर शुरूआती स्टेज में पकड़ा जाए तो इसका इलाज काफी प्रभावी और सफल होता है। इसलिए इसके शुरुआती लक्षण जानना और समय पर डॉक्टर से जांच करवाना बेहद ज़रूरी है।
मुँह का कैंसर क्या है?
मुँह का कैंसर, जिसे ओरल कैंसर भी कहा जाता है, मुँह के किसी भी हिस्से में हो सकता है — होंठ, जीभ, गाल की अंदरूनी परत, गला (ओरोफैरिंक्स), मसूड़े जो ज़्यादातर मध्यम आयु और बुज़ुर्गों में देखा जाता है।
मुँह का कैंसर तब होता है जब मुँह के अंदर असामान्य कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। और कई बार अपने शुरुआती रूप में साधारण घाव, सफेद धब्बे या बार-बार होने वाली जलन जैसी सामान्य समस्याओं की तरह दिखाई देती है। समस्या तब बढ़ती है जब ये बदलाव लंबे समय तक बने रहते हैं और धीरे-धीरे आसपास के ऊतकों, गले और सिर-गर्दन के अन्य हिस्सों तक फैलने लगते हैं। समय पर पहचान और उपचार से न सिर्फ़ जटिलताओं को रोका जा सकता है, बल्कि जीवन की संभावना भी काफी बढ़ जाती है।
इसका संबंध अक्सर निम्न कारणों से होता है:
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- धूम्रपान या तंबाकू चबाना
- अत्यधिक शराब सेवन
- खराब मौखिक स्वच्छता
- एचपीवी (HPV) संक्रमण
यह लेख विशेषज्ञों द्वारा मान्य जानकारी प्रदान करता है ताकि आप मुँह के कैंसर के जोखिम और लक्षणों को अच्छी तरह समझ सकें।
मुँह के कैंसर के शुरुआती लक्षण (Muh ke cancer ke lakshan)
शुरुआती संकेतों को पहचानना बेहद जरूरी है, क्योंकि जितनी जल्दी पता चलता है, उपचार का परिणाम उतना ही बेहतर होता है। यदि नीचे दिए गए किसी भी लक्षण दो सप्ताह से अधिक बने रहें, तो दंत चिकित्सक या ओरल एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जन को अवश्य दिखाएँ।
1. न भरने वाला मुँह का घाव (Non-Healing Ulcer)
मुँह के अंदर कोई भी छाला, कट या घाव जो लंबे समय तक ना भरे, यह कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है—चाहे वह दर्द करे या न करे।
2. लाल या सफेद धब्बे (Precancerous Lesions)
मुँह के अंदर दिखाई देने वाले धब्बे जो रगड़ने पर नहीं हटते:
- सफेद धब्बे (Leukoplakia): मोटे, सफेद पैच जो कभी-कभी कैंसर में बदल सकते हैं।
- लाल धब्बे (Erythroplakia): चमकीले, मखमली लाल पैच जिनमें कैंसर बनने का जोखिम अधिक होता है।
ये जीभ, मसूड़ों या गालों में दिखाई दे सकते हैं। ये दोनों कैंसर की ओर इशारा कर सकते हैं और इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए।
3. लगातार मुँह में दर्द
मुँह या गले में जलन, दर्द या असहजता जो किसी कारण से समझ में न आए और ठीक न हो—एक गंभीर चेतावनी संकेत हो सकता है।
4. गांठ या मोटापन महसूस होना
मुँह या गले में जलन, दर्द या असहजता जो किसी कारण से समझ में न आए और ठीक न हो—एक गंभीर चेतावनी संकेत हो सकता है। होंठ, मुँह के अंदर या गर्दन में नई सूजन, गांठ या मोटा हिस्सा दिखे तो तुरंत जांच करानी चाहिए।
5. चबाने या निगलने में कठिनाई (Dysphagia)
जरूरी नहीं कि हमेशा दर्द हो—कई बार खाना खाते समय दर्द, निगलने में दिक्कत, बोलने में परेशानी—ये संकेत हो सकते हैं कि ट्यूमर जीभ या गले की गतिशीलता को प्रभावित कर रहा है।
6. मुँह में सुन्नपन (Numbness)
जीभ या होंठ में अचानक सुन्नपन, झनझनाहट या संवेदना की कमी होना भी शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।—यह नसों पर ट्यूमर के दबाव का संकेत हो सकता है।
7. दाँत का ढीला होना
बिना किसी मसूड़े की बीमारी या चोट के दाँत ढीले होना—जबड़े की हड्डी प्रभावित होने का संकेत हो सकता है। अगर कोई दांत बिना मसूड़ों की बीमारी के गिर जाए, तो यह जबड़े की हड्डी में कैंसर का संकेत हो सकता है।
8. बिना कारण खून आना
बिना चोट या मसूड़े की बीमारी के मुँह से खून आना भी एक संभावित चेतावनी संकेत है।
9 कान में लगातार दर्द
अगर एक तरफ कान में दर्द है, लेकिन कान में कोई समस्या नहीं दिखाई दे रही, तो यह गले या मुँह की कैंसरस समस्या हो सकती है।
हालाँकि, यह समझना ज़रूरी है कि ऐसे कई मरीज भी पाए जाते हैं जिनमें इनमें से कोई जोखिम कारक नहीं होता, फिर भी उन्हें मुँह का कैंसर हो जाता है। यही कारण है कि इसके शुरुआती संकेतों को पहचानना और नियमित जाँच करवाना बेहद महत्वपूर्ण है।
मुँह के कैंसर के जोखिम कारक
क्लिनिकल डेटा के अनुसार, निम्न आदतें और कारण जोखिम को बढ़ाते हैं:
- तंबाकू का उपयोग: गुटखा, पान मसाला, खैनी, सिगरेट, बीड़ी आदि से कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
- अत्यधिक शराब सेवन: तंबाकू के साथ लेने पर जोखिम कई गुना बढ़ जाता है
- लंबे समय तक धूप का संपर्क: विशेषकर होंठ के कैंसर में
- HPV संक्रमण: कुछ स्ट्रेन ओरल कैंसर से जुड़े होते हैं
- खराब मौखिक स्वच्छता या लंबे समय की जलन: गलत फिटिंग डेंचर, टूटा दाँत आदि
- कैंसर का पारिवारिक इतिहास
मुँह के कैंसर की जांच कैसे की जाती है? (Diagnosis of Mouth Cancer)
यदि लक्षण 2 सप्ताह से अधिक बने रहें, तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर सामान्यतः निम्न जांच करते हैं:
1. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)
मुँह के अंदर घाव, धब्बे, गांठ या असामान्य बदलावों की जांच की जाती है।
2. बायोप्सी (Biopsy)
टिश्यू का छोटा नमूना लेकर माइक्रोस्कोप में जांच की जाती है।
3. CT स्कैन, MRI या PET स्कैन
इनसे ट्यूमर का आकार और फैलाव पता चलता है।
4. एंडोस्कोपी (Endoscopy)
जरूरत पड़ने पर गले और मुँह के गहरे हिस्सों की जांच की जाती है।
रोकथाम के महत्वपूर्ण उपाय (Prevention Tips)
- तंबाकू पूरी तरह छोड़ें
- शराब का सेवन सीमित करें
- रोज़ मुँह की सफाई अच्छी तरह करें
- नियमित रूप से डेंटिस्ट से जांच कराएँ
- होंठों को धूप से बचाएँ
- फलों और सब्जियों से भरपूर आहार लें
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. क्या मुँह का कैंसर शुरुआती अवस्था में ठीक हो सकता है?
हाँ। यदि स्टेज 1 या 2 में पता चल जाए, तो सफलता दर 80% या उससे अधिक होती है। उपचार में आम तौर पर सर्जरी और रेडिएशन शामिल होते हैं।
2. क्या हर मुँह का छाला कैंसर होता है?
नहीं। अधिकांश छाले (कैंकर सोर्स) 7–10 दिनों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन 2 सप्ताह से अधिक रहने वाला कोई भी छाला तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
3. मुँह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण क्या है?
तंबाकू का सेवन—चाहे चबाने वाला हो या धूम्रपान—दुनिया भर में मुँह के कैंसर का सबसे बड़ा और रोकथाम योग्य कारण है। शराब इसे और अधिक बढ़ा देती है।
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